मां बनकर फर्ज को निभा दिया

रीना की अभी कुछ महीनों पहले शादी हुई थी शुरूवाती दिन उसने ससुराल में बिताये | रीना के ससुराल में प्यार करने वाली सास , ससुर व एक ही ननद थी पूरा परिवार रीना को बेहद मान देता था वहीं रीना का पति , सुरेश भी रीना से बहुत खुश थे और रीना के मायके में रीना की मां सुरेश पर जान छिड़कती रही दोनो तरफ से सबकुछ ठीक चल रहा था और कुछ दिनों बाद सुरेश की छुट्टियां खत्म होती हैं |
सुरेश बाहर दूरन देश नौकरी करता था सो परिवार के सभी लोगों नें मिलकर फैसला किया कि रीना भी सुरेश के साथ रहेगी आखिर दोनो पति पत्नी हैं एक दूजे के बिन अकेले कैसे रहेगे ? ससुराल में रीना सबकी बात सुनकर बेहद खुश होती हैं कि कितना प्यारा परिवार मिला है मुझे ! सब मिलकर रीना व सुरेश की पैकिंग करते हैं कि कुछ रह न जाये और कुछ घंटों बाद दोनो ही निकलते हैं सफर पर ....
जाते वक्त रीना की सासुमां ने , सुरेश से कहा :- सुरेश , आने वाली होली रीना की पहली होली है कोशिश करना तुम दोनो छुट्टियों में घर आने की ! क्योंकि , रीना नववधु है और नववधु की पहली होली मायके की ही होती है | सुरेश ने मां से कहा ;- हां मां जरूर ! जाने के बाद रीना सभी को याद करती रही और धीरे धीरे मशगूल हो गई अपनी नई नवेली ग्रहस्थी में | दिन बीते और फिर धीरे धीरे कुछ महींने | पर, यह क्या सुरेश की तबियत इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रही थी ? डॉ. साहब ने सुरेश को आराम करने को कहा अब रीना अकेली क्या करती ? तभी सुरेश के पड़ोस में एक बुजुर्ग महिला रहती थीं जो उम्रदराज तो थीं ही पर काफी सुलझी हुई महिला थी ईश्वर नें उन्हें औलाद के सुख से वंचित कर रखा था पर वह बुजुर्ग महिला सभी पड़ोसियों के साथ अपनापन का रिश्ता निभाते हुए बेहद खुश थीं उन्होंने रीना व सुरेश की काफी मदद की और वे रीना की मां बनकर उसे संभालने लगी |
तभी …………… सुरेश की मां सुरेश को फोन मिलाती हैं और हालचाल पूंछती हैं तब सुरेश ने रीना से कहा मां से कुछ न कहना नहीं तो वो परेशान हो जायेगी | रीना ने सुरेश की हां में हां मिला दी वहीं सुरेश से मां ने कहा :- होली में बहुरानी के साथ आ रहे हो न बेटा ! तब सुरेश ने कहा मां ऑफिस की ज्यादा छुट्टियां नहीं हैं और जितनी हैं आने जाने में ही खत्म हो जायेगी सुरेश की बात सुनकर अब मां परेशान थी कि रीना की पहली होली है ये बच्चे भी कितने नादान हैं कुछ समझते ही नहीं और वो फोन रख देती हैं |
मां की बात सुनकर सुरेश मन ही मन विचार करते हैं कि क्या किया जाये कि रीना की पहली होली उसके मायके की ही हो | दोनो का मन ही मन मंथन चल ही रहा था कि अचानक से दरवाजे पर दस्तक हुई और वहीं बुजुर्ग महिला आवाज देती हुई सुरेश के घर में प्रवेश करती हुई कहने लगती हैं रीना यह तुम्हारी पहली होली है न ! क्या तुम मायके नहीं जा रही हो ? हमेशा से परम्परा यही चली आ रही है कि नववधु की पहली होली उसके मायके की होती है | उन बुजुर्ग महिला की बात सुनकर रीना ने कहा जी आंटी जी पर मैं सुरेश को यूं अकेले छोड़कर नहीं जा सकती आप तो जानती हैं न सबकुछ ! रीना की बात सुनकर उन आंटी जी ने कहा तुम अपने मायके जरूर जाओगी और होली भी मनाओगी आंटी की बात सुनकर रीना हैरान थी तभी आंटी जी ने कहा तुम मेरी बेटी की तरह हो और मैं तुम्हारी मां समान हूँ क्यों न तुम होली पर मेरे घर में रहना | आंटी की बात सुनकर रीना बहुत खुश थी की मेरी पहली होली अब मायके में ही होगी |
रीना ने फोन पर सारा हाल अपनी सासुमां से कह सुनाया रीना की बात सुनकर अब सासुमां भी बेहद खुश थीं और उन्होंने कहा धन्य हैं वो जो मां बनकर मां का फर्ज निभा दिया | अब होली के एक दिन पहले सुरेश व रीना उन बुजुर्ग आंटी जी के घर जाकर होली उत्सव की खूब तैयारी करते हैं व जमकर होली का त्यौहार मनाते हैं उस दिन के वाकिये के बाद रीना की चाहत उन बुजुर्ग महिला के लिये बहुत बढ़ गई थी क्योंकि उन्होंने हर कदम पर रीना व सुरेश का साथ दिया था कोई रिश्ता न होते हुए भी तीनों ही मन के आत्मिक प्रेम की डोर से बंध चुके थे | आज दोनो की शादी को बहुत साल बीत चुके हैं पर जब भी होली का त्यौहार आता है रीना व सुरेश की यादें फिर से ताजा होंने लगती हैं |
धन्यवाद
रिंकी पांडेय
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