मम्मी........मम्मी ........... मम्मी चल रिंकू तू जा ऊपर चाबी लेने आज फिर ताला लगा है नीचे का। क्या दी..... कभी खुद भी जाया करो ऊपर चाबी लेने।अरे लड़ो नही........ आ रही हैं हम ।खाना भी तो सेकना है । जरा सा उतरती धूप में ऊपर चढ़ो इन बच्चों का टाईम हो जाता है।माँ ,,,,,, चाची जिसकी खाना बनाने की ड्यूटी होती बोलती बडबड़ाती सूखे कपड़ों की गाँठ लिये नीचे उतरती ।एक तरफ ऊन और सिलाई का थैला दूसरे हाँथ में कपड़े।हम्मम ,,, यही हर रोज़ का रूटीन था मेरी माँ के आँगन की उतरती धूप का और जो आज बन चुका है मेरी खूबसूरत यादों और किस्सों का एक अनूठा पेज।
जाड़ों के दिन ! पंख लगाकर वक्त गुजरता ।माँ चाची का यही कहना होता ,,,,अभी तो ऊपर चढ़ी थीं अभी तुम बहनें आ भी गईं ! तब मैं बावली यही सोंचती कि साढ़े नौ से तीन बजे तक हम भाई बहन स्कूल थे तो ये लोग करती क्या हैं। पर अब जब अपने बच्चे जाकर वापस आते हैं न तो पता लगता है कि वाकई माँओ के लिये जाड़ों के दिन वाकई दौड़ता वक्त होता है।हम सबको गर्म गर्म रोटी परोसने वाली चाची मम्मी को धूप की नरमाहट और गर्माहट इतनी कीमती क्यों थी......! शायद वह भी भागते वक्त से कुछ वक्त खुद के लिये चुराती थीं।
आज भी जब बच्चों के लिये सलाद और जूस निकालती हूँ ।हरी सब्जियाँ बीनती तोड़ती हूँ तो माँ के अँगना की उतरती धूप बरबस आँखो में गुजरने लगती है। वह पापा का ड्राईफ्रूटस लाना माँ का उसमें से सबका हिस्सा लगाना । गोभी पालक के गरम गरम पराँठे।घर में अँगीठी पर गाजर का हलवा देर रात तक पकना और उसकी सोंधी सोंधी खुश्बू.......आज भी गैस पर हलवा बनाते समय गुजरा वक्त सामने लाकर खड़ा कर देती है।
आज बेटी प्रिया ने जिद की घर पर ही बर्गर बनाने की आलू की टिक्की बनाते वक्त याद आने लगी माँ की रसोई की वह देशी घी मे तलती हुई गरम और करारी टिक्कियों की ।वह जो सुबह से तैयारी करतीं और हमारे स्कूल से आने के बाद एक समय की रसोई निपटाकर दूसरे समय की रसोई की तैयारी में लग जातीं। दोपहर डेढ़ दो बजे अपने कामों से निपटकर छत पर खुद को कुछ वक्त देने जातीं और तीन बजे तक उतरती धूप के साथ नीचें उतर आतीं ।वह लम्हे, वह पल, वह स्कूल से आते वक्त सूरज की हल्की गरमाहट और यकीन कि घर जाकर ही मिलेगा सुकून और गरमागरम खाना आज भी "उतरती धूप" के साथ आँखों में ज्यों कि त्यों उतर जाते हैं। यादों की गर्माहट ने एक माँ को माँ के अँगना की यादों से फिर से रूबरू करा दिया ।शुक्रिया वह सुकून और मुस्कुराहट देने के लिए।
सारिका रस्तोगी
अम्बाला कैंट