माँ का प्यार ....

माँ का प्यार ....
जब सुधा जी को देखती थी। तो मन बड़ा प्रसन्न हो जाता था । कितनी हिम्मती और सुलझी हुई स्त्री कितना अच्छा उनकाएंजीयो "समता " चल रहा था ।अक्सर अख़बार में उनकीतस्वीर आती , पूरे शहर में जानी मानी हस्ती ....मेरी प्यारी सहेली ।
उसने पर्दों और चादरों की दुकान खोली हैं । उसने कहा था , सुधा जी से ही उद्घाटन करवाऊँगी ।
खैर बहुत पापड़ बेले तब जाकर सुधा जी इस छोटे से कामके लिए वक्त निकाल पाई थी ।
ममता ने मेरा परिचय करवाया बस मुझपर एक नज़र डालकर आगे बढ़ गई । कई औरतों ने कहा मुझे क्या उनसेमिल रही हो वो बहुत ही बेकार महिला हैं मुझे कुछ अजीबसा लगा । तरह तरह की अफ़ावाहे थी उनके ख़िलाफ़ ।कभी कभी मैं भी सोचती कुछ तो घपला हैं तभी तो इतनीजल्दी इतना ऊपर पहूँच गई वरना एक अकेली औरत भलाइतना सब कैसे कर लेगी ये बातें आई गईं हो गई थी ।
छः महीने बीत गए इस बात को फ़िर भी अख़बार में सुधाजी कुछ भी लेख आता तो मैं पढ़ती ज़रूर । एक दिन अचानक मेरी कामवाली बाई सीता अम्मा रोती हुई आई कीदीदी देखो ना पार्क के गेट पर बिजली का तार गिरा था मेराबच्चा को करेंट लग गया दीदी जल्दी चलो उसदिन रविवारथा इसलिए मेरे पति पवन भी घर पर ही थे हमलोग वँहा पहुँचे तो काफ़ी भीड़ थी खैर बच्चे को होस्पिटल ले गए परउसे बचाया नही जा सका सीता अम्मा बहुत रोई रीकूउसका सबसे बड़ा बेटा था कई लोगों ने सलाह दिया कीसुधा जी मदद कर देगी सीता अम्मा की तो कुछ पैसे मिलजाएँगे मैं खुद ही सीता अम्मा को लेकर सुधा जी के एंजीयोगई सुधा जी के एंजीयो में कुछ अनाथ लड़कियाँ भी रहतीथी ।सुधा जी की शादी बृजमोहन बाबू जो हमारे मुहल्ले केबड़े रसूख़ वाले थे ।
उन्होंने शादी की पर तीन साल बाद ही उनकी मृत्यु हो गई ।
पूरे घर की मालकिन सुधा जी हो गई । लोग कहते इन्होंनेही बृजमोहन बाबू को मरवाया था ।
पर ये सच था या अफ़वाह ये मैं नही जानती थी । आज वोमिली भी और अश्वासन भी दिया की ज़रूर कुछ करेंगी ।फ़िर किया भी सीता अम्मा पैसे लेकर अपने गाँव चली गईं। उस रोज़ बहुत बारिश हो रही थी । उनका नौकर आयाऔर बोला जी पूनम जी को सुधा मैम ने बुलाया हैं ,गाड़ीलेकर आया हूँ ।कुछ ज़रूरी काम हैं ,मेरे पति ने कहा जाओपर मैने कहा आप भी चलो अकेले मुझे नही जाना । खैरहमदोनो ही गए । आलीशान मकान था ।
पर उनका कमरा कितना शालीन वो लेटी हुई थी ,
मैने पूछा कैसे बुलाया ।
सुधा जी मुझे बोला देखो बेटा पूनम मुझे पता हैं की तुममुझसे प्रभावित हो इसलिए ये "समता एंजीयो "तुम्हें सौंपकर मैं जा रही हूँ ....
कँहा ??
मुझे कैंसर है ..
उसके इलाज के लिए विदेश जा रही हूँ ।
मैने इतने से जीवन में बहुत से ज़िंदगी जी लिया ... अकेली थी ।
इसलिए सड़क के कुत्ते भी जंगली कुत्ते बन कर नोच खाते इस वजह से थोड़ा क्रूर भी बनना पड़ा ।
खुद बहुत दुःख सहे थे इसलिए अनाथ लड़कियों के लिएही एंजीयो खोला और अनाथ आश्रम भी समता नाम दियाकी कभी तो समाज में लड़कियों को भी समान अधिकारमिले । खुद को बड़े बड़े लोगों के साथ घिरी हुई बता करफ़ोटो डलवाती थी ,
ताकि छोटे -छोटे गुंडे दूर रहे उन्हें लगे की इनकी पहुँच बहुतऊपर तक हैं ... बाक़ी मैं किसी को जानती नही । समाज मेंकुछ अच्छा करना चाहोगी तो पहले आलोचना भी सहनापड़ेगा समझी ।
बहुत से रूप जीये मैने नारी के बस एक माँ का रूप नहीदेखा ।
ना मेरी माँ थी ना मैं किसी की माँ बन सकी ,
तुम्हें देख कर लगता था की अगर मेरी बेटी होती तो ऐसी हीहोती सुधा जी पलकों से आँसू बहे जा रहे थे ...
पूनम भी अपने आँसू कँहा रोक पाई थी ।
सुधा जी ने कहा देख बेटा इस समाज में सब करना परअपना मान बनाए रखना । सरल रहना पर कभी कभीफुँकारना भी ताकि समाज की गंदगी तुमसे दूर रहे ।
ये लो इस घर की चाभी और एंजीयो का सब हिसाब शर्माजी कल समझा देंगे ।
मैं ठीक हो गईं तो मिल कर करेंगे वरना तुम अकेले अरे नहीतुम्हारे साथ तो पवन जी हैं तब तक पवन दरवाज़े पर आचुका था ।
नही माँ आपको कुछ नही होगा .... क्या बोला पूनम तुमने??
आपको कुछ नही होगा ....
अरे उससे पहले ??
माँ ...
और बोल ना
माँ ... बोलते -बोलते पूनम रो पड़ी ।
बस बेटा नारी के इस रूप को भी जीना हैं ।
तेरी माँ बनकर दोनो गले लग कर रोते रहे ।
सुबह सुधा जी को उठया माँ उठो एयरपोर्ट जाना हैं ,
उठो ना माँ उठो ।
पर ये आँखे तो सदा के लिए बंद हो चुकी थी । सुधा जी बस माँ शब्द सुनने को जी रही थी ।
शायद क्यूँकि सबसे अनोखा तो स्त्री का माँ रूप ही तो हैं!!!!!!!!!!!
कहते हैं जो नसीब वाले होते हैं उनकी क़िस्मत में ही माँ काप्यार पाना और माँ सा प्यार देना लिखा होता हैं !!!!!
आपकी ...
अल्पना !!!!!!! अल्पना श्रीवास्तव
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