मैं और मेरी लाईफ

मैं और मेरी लाईफ

रोज एक नया सवेरा आता है ।अँधेरों को दूर कर सूरज की किरणें हमें जगाती है और हमें अपने कार्यों को करने के लिए प्रेरित करती हैं ।मेरी  रोज की लाईफ भी इसी थीम पर आगे बढ़ती है। अलार्म की घड़ी से नींद खुलती है ।पर जब तक तीन- चार बार उसे बंद न कर दूँ, बिस्तर मुझे उठने ही नहीं देता। सुबह की ताजी हवा भला किसे अपना दीवाना ना बना दे ।

थोड़ी देर बाहर जाकर   ताजी हवा का आनंद लेती हूँ । योगा करती हूँ। घर की जिम्मेदारी मुझ पर है तो मेरे शरीर की जिम्मेदारी भी तो मुझ पर ही है। आधे घंटे योग किया। फिर स्नान कर पूजा की तैयारी करनी शुरू कर देती हूँ । हम कितने भी व्यस्त क्यों ना हो पर  जिस ईश्वर ने हमें नया जीवन दिया है, उसे याद करना, प्रार्थना करना हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। और यह सीख में अपने बच्चों को भी देती हूँ।

एक कप चाय और पेपर । इससे मेरे दिन की शुरुआत बहुत अच्छी होती है। यह मुझे ताजगी से सराबोर कर देते हैं। फिर बच्चों को उठाने चल देती हूँ। बच्चे उठ गए फिर नो आराम, केवल काम ।बच्चों को तैयार करना ,हर काम समय से कराना यह भी एक बहुत  बड़ा काम होता है। नाश्ता भी तैयार किया, खाने की तैयारी की और बच्चों के काम भी करती गई। सच ही कहा गया है भगवान ने माँ को ढेर सारी शक्तियाँ दी है। एक जगह रहते हुए भी वह कई जगहों पर रहती है। तभी तो  एक साथ सारे काम कर लेती है ।

बच्चों को पढ़ाना, उनका होमवर्क कराना ।आजकल की पढ़ाई ऐसी की पहले पेरेंट्स पढ़े,फिर बच्चे । तब घड़ी देखा तो लंच का टाइम हो गया था।पतिदेव भी ऑफिस से जाते है।सब मिलकर  लंच करते हैं ।एक साथ खाने से प्यार बढ़ता है और पूरा परिवार एक साथ समय व्यतीत करता है।बिना फोन और टीवी के।जो आजकल के लिए बहुत जरूरी है।  थोड़ी देर आराम चाहती हूँ। जो कभी मिलता है ,कभी नहीं मिलता। बच्चों की आवाज आती रहती हैं ।खेलने कूदने की, पढ़ने  की, टीवी देखने की। तभी बेटा आता है," मम्मा !उठो शाम हो गई। हमें स्नेक्स दो ।नाश्ता दो। 

फिर शाम की शुरुआत चाय और  वाॅक के साथ होती है। वॉक करते करते दोस्तों से बात हो गई ।परिवार का हालचाल जान लिया ।रात के खाने में कुछ स्पेशल बनाना हो तो शाम से तैयारी शुरू करनी पड़ती है। फिर बच्चों को पढ़ाने के लिए बैठाया ।कभी पेंसिल टूट गई तो कभी प्यास लग गई। डिनर हुआ। फिर थोड़ी देर टीवी देख लिया। बच्चों को सुलाया और अपने लिए कुछ समय मिला। जिसका मुझे इंतजार रहता है।

कुछ पढ़ा, थोड़ा लिखा ,थोड़ा सुना। समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता ।सोते समय बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखती हूँ और पति के चेहरे पर सुकून  तो अपनी दिन भर की मेहनत सफल लगती है और थकान एक पल में दूर हो जाती है ।लगता है इसी के लिए तो हम जी रहे ।हमारी असली खुशी और कमाई यही है।फिर एक नई सुबह के इंतजार में नींद लग जाती है। सुबह फिर आप दोस्तों के साथ मुलाकात होती है।येे रही मैं और मेरी लाईफ।

डाॅ मधु कश्यप 

#MyHealthDiary 

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