मेरी पसंद!!

पसंद का खाना,
पसंद का कपड़ा,
कभी यह नहीं खाना,
वह नहीं पहनना,
कह नखरे दिखती,
मेरी पसंद का हर ख्याल,
रखने वाले मातापिता,
यह क्यों नहीं बताते ,
शादी से पहले,
अपनी पसंद,
भूल जाना बेटी,
हर पल,हर लम्हा, हर दिन,
पसंद ज़ब याद आती है,
अब कोई मायने नहीं,
सोचकर चुप हो जाती,
ना खाना पसंद की,
ना पहनावा पसंद की,
फिर ये अजननबी क्यों,
मन को इतना भाते हैं,
ईश्वर से हर रोज,
इनकी सलामती की,
दुआ मांगती हुँ,
हर दिन इनकी ख़ुशी,
मांगती हुँ,
अब हाथों की अपनी,
लकीरें इन्हे मानती हुँ,
इसके पसंद का करते,
कब ख़ुद पसंद बदल गईं ,
सासु की लाड़ और पति के प्यार,
में पूरी दुनियां सिमट गईं ,
मायके और ससुराल दोनों में,
सबकी लाडली होना,
आसान नहीं होता मायके,
की पसंद को भूल जाना,
लेकिन सबकुछ ख़ुशी से,
उन बातों बिल्कुल,
भूल चूकि हुँ ससुराल,
में सबका प्यार पाती हुँ ,
मेरी पसंद जाने कबसे ,
उनकी हर चीज,
पसंद बन गईं ,
प्रीत के रंग में रंगी मैं,
कब पति की धड़कन,
मेरी जिंदगी बन गईं,
मेरी पसंद जाने कब से,
उनकी जिंदगी की अहम,
हिस्सा बन गईं,
मेरी मुहब्बत सिर्फ लफ्जो में,
नहीं बल्कि रूह से रूह तक
का रिश्ता बन गईं,
मेरी पसंद जाने कबसे,
दूसरे की पसंद की,
किस्सा बन गईं |
नीतू श्रीवास्तव..... ✍️
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