मेरी प्यारी चाय

मेरी प्रिय चाय,
तुम सिर्फ एक प्याली चाय नही
तुम अपनी गर्माहट से मेरे जज़्बात सहलाती हो
तुम मेरे एकाकीपन को सहचर सी भाती हो
तुम मेरे अलसाए से मन में ताजगी भर जाती हो
तुम अपनी घुलती मिठास मेरे अंतस तक भर जाती हो
तुम अपने सुनहरे रंग से चित्त पुलकित कर जाती हो
तुम साथी हो मेरे हर मिजाज की
सहभागी हर राज़ की
साथ ले बैठती हूं तुम्हे
जो कभी उदास हूं
जो कभी महसूस कर रही बिंदास हूं
जो कभी खुश हूं
जो कभी यूं हीं शून्य में खोई हूं
जो कभी किसी किताब में डूबी हूं
जो कभी किसी की याद में डूबी हूं
जो कभी थकान में चूर हूं
जो कभी उत्साह से भरपूर हूं
तुम्हारी गर्माहट रिश्तों में भी घुलती है
जब बांट लेती हूं तुम्हार बहाने
किसी का अपनापन
किसी का दुख
किसी का सुख
किसी का मन सुर्ख
किसी की भावनाए शुष्क
आमंत्रण चाय का बन जाता है शुरूआत
किसी नयी दोस्त का
किसी नये रिश्ते का
किसी रूठे को पास बुलाने का
किसी से गलतफ़हमी मिटाने का
किसी के साथ दो पल हँसने गुनगुनाने का
किसी को खास महसूस करवाने का
तुम गुदगुदाती हो हमारे वो सारे पल
जब हम होते हैं एकत्रित
कभी छत पर गर्मी की शामों के ठहाको को
कभी आंगन में जमी मंडलियो को
कभी अलाव घेरे बैठे चुस्की लेते होठों को
कभी रजाई में किस्सों के पिटारों को
अलहदा है मेरी दीवानगी तुम्हारे लिए
अनोखा है मेरा तुम्हारा अफ़साना
सुबहो को तुम्हारी खुशबु से जगाना
शामों का तुम्हारे साथ ही ढलना
है तुमसे मेरा पक्का याराना
लगा रहता है प्यालों का घर के हर कोने में आना जाना
मामला हल्का हो या गम्भीर
तुम हो हर जगह सटीक
चाय पे चर्चा के शौकीन हैं बहुतेरे
आम हो या खास तुम हो सबको समेटे
क्या कहू कि तुम हो हर दिल अज़ीज़
कशिश है तुम में एक अजीब
ला देती हो अजनबियो को भी करीब
बहुत से हैं मुझ जैसे तुम्हरे मुरीद
सुनो मेरी चाय तुम हो मेरे लिए बहुत खास क्योंकि तुम्हारे साथ मैं अपने बहुत सारे पल बांटती हूं। तुम मेरी दिनचर्या का एक एहम हिस्सा हो। तुम मेरी संगिनी हो।
---तुम्हारी एक शौकीन
#अंतरराष्ट्रीयचायदिवस
#Internationalteaday
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