मेंटलहुड वर्सेज मदरहुड

मेंटलहुड वर्सेज मदरहुड

हाल ही में मैंने करिश्मा कपूर की मेंटलहुड देखी।मुझे बहुत अच्छी लगी।लगती भी क्युं ना....खुद को रिलेट जो कर पा रही थी। मदरहुड के साथ ही हमारी मेंटलहुड की शुरुआत हो जाती है। मां बनने के बाद जब बच्चा रात में सोता नहीं है तो हमें भी जागना पड़ता है, हो गई ना मेंटल एक्सरसाइज। ये तो बस शुरुआत है....धीरे धीरे बच्चे बड़े होते हैं, स्कूल जाना शुरू करते हैं...अब बारी आती है अलराउंडर होने की। हर मां चाहती है उसका बच्चा हर क्षेत्र में अव्वल आए,बस फिर क्या बच्चों के साथ मां की भी मेंटल एक्सरसाइज शुरू हो जाती है। पढ़ाई में हाईएस्ट मार्क्स लाना है, डांस में अपना हुनर दिखाना है,स्टेज प्रोग्राम हो या कोई सम्मेलन सारा कुछ करना है।


अरे बाबा! इतना क्या करना, जिनसे बच्चे का लगाव हो वहीं करने दो,लेकिन नहीं एक दूसरे को दिखाने की होड़ में सब लगे रहते हैं।फिर बच्चे टीनएज के हो जाते हैं,यहां तो और भी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।आजकल मोबाइल की सबसे बड़ी समस्या है।हमारे जमाने में तो मोबाइल नहीं हुआ करता था, लेकिन आजकल के बच्चे बिना मोबाइल के नहीं रह सकते और करें भी क्या, जरूरत तो है ही। आज के डिजिटल संसार में सबकुछ ऑनलाइन जो हो गया है; पढ़ाई भी।

बच्चों के मोबाइल समय-समय पर चेक करना मांओं की आदत होती है। बच्चा किस दिशा में जा रहा है क्या कर रहा है किस तरह के फ्रेंड्स सर्कल है,यह जानना भी तो जरूरी है।


सफर यूं ही चलता रहता है। इन सब के बीच परिवार को हम कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं,परिवार के प्रति अपने कर्तव्य जिम्मेदारी को भी तो निभाना है।


खैर! यह सब बहुत आसान हो जाता है जब आपका हमसफ़र आपके साथ हो।इस मामले में मैं बहूत लकी हूं।मुझे मेरे पति का पूरा सहयोग मिलता है।बच्चों को सम्हालने के साथ- साथ रसोई में भी मेरी मदद करते हैं। वीकेंड पे सारी जिम्मेदारी उनकी मैं बस आराम करती हूं और बच्चों के साथ मस्ती। मम्मीजी के साथ अनलिमिटेड गॉसिप और चाय की चुस्की लेते हुए टीवी देखने का मज़ा ही कुछ और है।


इस तरह तरोताजा होकर मदरहुड और मेंटलहुड को जीने का बड़ा ही रोचक तालमेल है।

धन्यवाद

ऋषा दत्ता।

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