मेरी पहचान,मेरे पापा

“पापा “मेरी पहली पहचान मैंने आप से ही तो पायी
आपने ही तो इस संसार से मेरी पहचान कराई
हर रिश्ते में कुछ ना कुछ बदले में दिया ही दिया है
एक पिता का ही रिश्ता जिनसे बस लिया ही लिया है
आज भी जब मायके जाती हूँ आपकी बेटी के नाम से ही जानी जाती हूँ
याद आता है आपका वह बिट्टो कह कर बुलाना
आप क्या गए जैसे यह अधिकार भी अपने साथ ले गए
दर्द को दबाना आंसुओं को छिपाना सीखा है आपसे
किसी भी बात पर हम बच्चों से यूँ ही शर्त लगाना और फिर हार कर भी खुश हो जाना सीखा है आपसे
क्या थी आपको इतनी जल्दी जाने की
कुछ तो सोचते क्या एक बार भी याद ना आई अपने प्यारों कि
काश !कुछ ऐसा हो पाता एक बार आते और गले लगाते
फिर से वह आशीर्वादो कि झङियाँ बरसाते
आशीर्वाद तो आज भी मिलते हैं पर कहाँ वो दिल से निकलते हैं
पर जानती हूँ आप जहां भी हो वहीं से आशीर्वाद देते होंगे
खुश रहो सदा यही तो कहते होंगे
Love you” papa”❤
अनु गुप्ता
Image Credit @LoweLintas
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