मेरी प्यारी अम्मा

मेरी प्यारी अम्मा, तुम हो मुझे कितना याद आती,
वो तुम्हारा धीरे धीरे चलना – कांपते हाथों से सर मेरा सहलाना,
खाना जब तुमसे न खाया जाये- तो मक्की की रोटी बनवाना!
मेरी प्यारी अम्मा, याद आता है तुम्हारा हमे प्यार देना,
झुक कर जब मिलती मै तुमसे- मेरे बालों को तुम्हारा पकड़ कर बाँध देना,
थोड़ी देरी हो जाये कंही तो- बस तुम्हारा दरवाजे पर ही धरना देना!
मेरी प्यारी अम्मा, तुम कितनी सूंदर सी दिखती थी,
गर्मी और सर्दी के उजले से कपड़ों को- कैसे तह लगाकर रखती थी,
वो छोटा सा थैला और संदूक तुम्हारा- उसमे ही सब खज़ाना रखती थी!
मेरी प्यारी अम्मा, मै तुमको बहुत याद करती हूँ,
जब मक्की की रोटी बनाती हूँ – जब फल में खजूर लाती हूँ,
हल्दी वाला दूध बनाऊ या – जब पुदीने की चटनी का स्वाद लेती हूँ!
अम्मा मै तुम्हे आज भी ढूंढती हूँ, यादों के गलियारों में,
कभी मंदिर में तो – कभी गली के मोड़ पर,
कभी नीले से आसमान में – और कभी अनगिनत सितारों में!
(Swarn Dhiman (Reena)
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