नया भारत बनाना है

नया भारत बनाना है,
ध्वज ऊंचा फहराना है,
नींव है संस्कारों की ,
विश्व को दिखाना है।
जिस सोच से संस्कृति का ,
था गौरव मिटने को ,
उस सोच को मिटाना है,
हाथ जोड़ अभिवादन कर,
महत्व नमस्कार का समझाना है,
विश्व को दिखलाना है।
स्वच्छ अस्वच्छ करके ,
संकीर्ण सोच के थे कहलाते ,
आज समाज से थोड़ी दूरी बना,
घर को स्वस्थ बनाना है,
विश्व को दिखलाना है।
बाहर के खाने को,
जो शान समझते थे,
नए नए पकवान बना के,
सबको स्वादिष्ट खिलाना है,
विश्व को दिखलाना है।
दिल से भले हों हम कोमल,
दुनिया को अपना सब्र दिखना है,
घर में रहकर,नियम में बंधकर ,
कोरोना को हराना है,
अपने संस्कारों से,
विश्व में सम्मान दिलाना है ।
नहीं है विकसित देश तो क्या,
इसे कर्मशील बनाना है,
विद्या,विज्ञान और व्यवसाय में,
इसे अग्रसर बनाना है,
विश्व को दिखाना है।।
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