थू तेरी मर्दानगी पर ए हैवान

थी एक निर्भया तब ,
आज एक मनीषा है,
न कल सुरक्षित थी वो ,
सूरत न आज जुदा है ,
,
दुनिया क्यों कहे तुझे इंसान ,
तेरी करतूतों से तेरी माँ क्या ,
आज खुद शर्मसार है भगवान
जो सीना अपनी बहन, बेटी ,
को भी न बचा पाता है ,
हो कितना चौड़ा वो चाहे ,
शर्म का पात्र कहलाता है,
-वाणी भारद्वाज
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