बात तब की है जब मैं आठवीं या नवीं कक्षा में थी ,अच्छे से याद नहीं पर तब बड़ी मस्तमौला ,खुशमिजाज और अपनी मस्ती में मस्त थी । खुशमिजाज तो आज भी हूँ पर उस दिन एक जो अनुभव हुआ वो हर लड़की को पहली बार तो होता है । हाँ ,समय और स्थान जरूर अलग अलग हो सकता है ।
मैं क्लास में बैठी बाकी सहपाठियों के साथ अगले पीरियड के सर के आने का वेट कर रही थी । थोड़ी देर में आये और पढ़ाना शुरू हुआ पर मुझे कुछ भीगा भीगा सा लग रहा था पर समझ नहीं पाई क्या? किस्मत से वो आधी छुट्टी से पहले का अन्तिम चरण था । छुट्टी की घण्टी बजते ही जैसे ही उठी पास बैठी सहपाठी ने कहा "अंजू ,ये क्या तेरा कुर्ता तो पूरा खराब हो गया । कही पर लगी है क्या ?" । मैं हैरान थी ये था क्या । एक बड़े गुब्बारे के आकार का दाग लगा हुआ था कुर्ते पर ।
उन दिनों आसमानी कुर्ता ,सफेद पायजामा और सफ़ेद दुपट्टा स्कूल का यूनिफॉर्म था । मेरी सहपाठी दोस्त ने कहा "एक काम कर अंजू , दुपट्टा है ना ,इसे पीछे से लपेट कर घर चली जा "। मैंने ठीक वैसे ही किया पर रास्ते में लोग ऐसे घूर घूरकर देखने लगे जाने क्या हो गया है । उस दिन वो पहली बार था फिर भी लोगों के बीच से होकर निकल गयी उन्हें ये दिखाते हुए कि कोई बड़ी बात नहीं हुई और सच में यह बड़ी बात तो नहीं । हर लड़की के जीवन में वो दिन आता है जब उसे पहली बार पता चलता है कि उसमें एक बदलाव आ रहा है जो लम्बे समय तक साथ रहेगा उसके ।
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अंजलि व्यास
#MyFirstPeriod