पाकीज़ा के 50 साल : कुछ सुने अनसुने किस्से

50वें दशक की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस में से हुआ करती थी मीना कुमारी। ऐसा कहा जाता था कि जो उनको एक बार देखता वो बस उनको देखता ही रहता।
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को मुंबई के दादर में हुआ था। उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की ‘ट्रेजडी क्वीन’भी कहा जाता है ।
मीना कुमारी को उनके करियर में जिस फिल्म के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है वो फिल्म थी ‘पाकीजा’
पाकीजा’ को जितना मीना कुमारी के अभिनय के लिए याद किया जाता है उतना ही गानों के लिए भी याद किया जाता है. ‘चलो दिलदार चलो चांद के पार के पार चलो’, ‘इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा’, ‘ठाढे रहियो ओ बांके यार रे’, ‘चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था’, ‘आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे’, ‘मौसम है आशिकाना’ इस फिल्म का हर गाना कर्णप्रिय है. गुलाम मोहम्मद और नौशाद के संगीत ने ऐसे गाने बनाए जो 50 साल बाद भी संगीतप्रेमियों की पसंद बना हुआ है।
4 फरवरी 1972 को रिलीज हुई थी पाकीजा फ़िल्म का शायराना अंदाज, दिल को छू लेने वाले संवाद और मदहोश कर देने वाला संगीत हमें उस दौर में जाता है, जब यह फिल्माई गई थी।
मुगल-ए-आजम के बाद यह हिंदी सिनेमा की दूसरी फिल्म थी जिसे बनाने में 14 साल जितना लंबा वक्त लग गया।
फिल्म के छा जाने में सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर द्वारा गाए गये मधुर गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। फिल्म के निर्देशक कमाल अमरोही ने किया था जो मुख्य नायिका मीना कुमारी के पति भी थे।
कहा जाता है कि जिस तरह से शाहजहाँ ने मुमताज के लिए ताज महल बनवाया था, ठीक इसी तरह से कमाल अमरोही ने मीना कुमारी के बड़ी मशक्कत से पाकीज़ा बनाई थी।
पाकीजा फिल्म की शूटिंग 1958 में शुरू थी। लॉन्चिंग के वक्त यह ब्लैक ऐंड वाइट थी लेकिन तब तक कलर फिल्में आनी शुरू हो गईं। कमाल अमरोही ने ब्लैक ऐंड वाइट वाले पोर्शन हटाकर उन्हें फिर से कलर में शूट किया।
इसका एक डायलॉग काफी फेमस है जिसमें राजकुमार एक कागज में लिखते हैं, आपके पैर देखे, बेहद हसीन हैं, इन्हें जमीन पर मत रखिएगा, मैले हो जाएंगे। दर्शकों को लगता है कि वह मीना कुमारी थीं। पर हकीकत में इसमें मीना कुमारी नहीं बल्कि उनकी बॉडी डबल थीं। मीना कुमारी उस वक्त काफी बीमार रहती थीं। उनके कई डांस सीक्वेंस में पद्मा खन्ना को बॉडी डबल के रूप में नचवाया गया था।
फिल्म पाकीजा रिलीज होने के बाद कुछ खास नहीं चली। रिलीज के दो महीने बाद ही मीना कुमारी का निधन हो गया। मीना कुमारी के इंतकाल के बाद फिल्म बंपर हिट हुई, क्योंकि लोग इसे मीना कुमारी की आखिरी फिल्म मानकर काफी इमोशनल थे।
फिल्म दूसरे देशो तक भी चर्चा में थीं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो भारत आए थे। वह शिमला समझौते पर दस्तखत करने आए थे। इस दौरे पर उनके साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी थीं। बेनजीर ने यहां आकर पाकीजा फिल्म देखने की इच्छा जताई और थिएटर में फिल्म देखी।
तवायफ की मार्मिक कहानी को मीना कुमारी ने बेहद संजीदगी से निभा हिंदी सिनेमा के इतिहास में ‘पाकीजा’ को अमर कर दिया।
फिल्म के रिलीज होने के कुछ हफ्तों बाद ही मीना ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. और पाकीजा’ कर मीना खुद भी अमर हो गईं।
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