"पीरियड्स धब्बा नहीं है!" #PeriodTalks

हम किस युग में जी रहे हैं?मासिक धर्म होने में क्या गलत है?
कृपया इन खबरों पर एक नजर डालें।**"यदि आप मासिक धर्म वाली महिला द्वारा तैयार भोजन एक बार भी खाते हैं,तो आपका अगला अवतार निश्चित रूप से बैल का होगा।मासिक धर्म वाली महिला जो अपने पति के लिए खाना बनाती है,निश्चित रूप से कुतिया के रूप में पुनर्जन्म लेती है।"स्वामीनारायण भुज मंदिर के स्वामी कृष्णस्वरुप दासजी के उपदेश हैं,भुज संस्थान चलाते हैं जहां 68 छात्राओं को मासिक धर्म की जांच के लिए कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया था।
**"चक्रवात गाजा ने पीरियड्स के लिए अलग रहने वाली लड़की की जान ले ली।"
ऑ॑खोंदेखी दो घटनाएं...
*मैं अपनी सहेली और आंटी के साथ परीक्षा हेतु गई,रिश्तेदार के यहाँ रुकी।मैंने देखा उनकी बेटी रसोई से पानी तक नहीं ले रही थी।मुझे लगा चलो अच्छा है,बेटी को घर के काम में नहीं लगाया।लेकिन रात में मैंने उसे फर्श पर सोता पाया।मैंने आंटी से पूछा,उन्होंने बताया उसे पीरियड्स हो रहे थे,इसलिए उसे रसोई में प्रवेश करने और बिस्तर पर सोने की अनुमति नहीं है।
*दूसरी घटना,जब मैं भीमताल से एमसीए कर रही थी,हमारे चौकीदार दाज्यु ने मुझे और मेरी बैचमेट को भोजन पर बुलाया।हमने देखा उनकी बेटी फर्श पर चाॅक के घेरे में बैठी थी,दाज्यु की पत्नी ने हमें बताया कि वह पीरियड्स में है,इसलिए केवल उसकी प्राकृतिक जरूरतों के लिए उसे जाने दिया जाता है,नहीं तो वह उस घेरे में रहती है।हमने उस घर के एक-एक व्यक्ति को समझाने की कोशिश की लेकिन वे हमारी बात नहीं माने।उनके अनुसार लड़कियां माहवारी में अपवित्र होती हैं,इसलिए उन्हें परिवार के सदस्यों को छूने की भी अनुमति नहीं थी।
मैं ऐसा देखकर बहुत हैरान थी,क्योंकि जब मुझे पीरियड्स होते मेरी मां ख्याल रखती,मेरे दर्द को कम करने के लिए चाय,गर्म पानी की बोतल,आराम देतीं।मेरी दादी-नानी भी ऐसी ही ख्याल रखती थीं।
मुझे अपने मासिक धर्म के दिनों में खाना पकाने पर एक चुटकी भी ग्लानि नहीं होती है।मेरी मम्मी की भांति मैं या यूं कहूं कि उसके पापा और भाई भी,बेटी का ख्याल रखते हैं।मैं नारीत्व में दृढ़ता से विश्वास करती हूॅ॑।पीरियड्स हमें पूरा करते हैं,पीरियड्स धब्बा नहीं है।
पीरियड्स वर्जित नहीं है,अपितु ये पांच दिन गौरव हैं,हमारे!
#PeriodTalks
What's Your Reaction?






