प्यार हमारा अमर रहेगा! Story By Vidhi Jain

घर के सभी लोगों के समझाने के बावजूद भी वह नहीं समझी यौवनावस्था में हुए प्रेम का भूत सवार उसके ऊपर हो गया था होता भी क्यों नहीं दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे और एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं बिताते थे समय बीतता गया ।लेकिन लाख समझाने के बाद भी घरवालों की एक न मानी और उर्मिला ने उमेश को जीवनसाथी बनाने का निर्णय ले लिया अंत में उर्मिला ने घर परिवार को छोड़कर उमेश के साथ शादी के बंधन में बंध गई।उमेश ने भी अपने घरवालों की एक न मानी औरउर्मिला को लेकर भाग गया।और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की उमेश का कोई जवाब नहीं था लेकिन उसने उर्मिला को सांत्वना दी थी।कि हम शादी के बाद कुछ ना कुछ अच्छा कर लेंगे शादी के लगभग 1 साल हो गए लेकिन उमेश की अच्छी जॉब नहीं लगी दोनों कि घर वालों का कोई साथ नहीं था।
उर्मिला ने उमेश चलो अपने घर वालों से माफी मांगते हैं और उनके साथ ही रहते हैं।उमेश ने अपनी माँ से बात करने की कोशिश की लेकिन माँ ने नजरअंदाज कर दिया।और कहा बहू को लेकर मत आओ! तुम अकेले आ जाओ!उमेश को यह बात माँ की बहुत बुरी लगी और शांत रहाऔर फोन रख दिया।उर्मिला ने भी अपनी अपनी माँ से बात की तो माँ ने कहा कि आज मैं तुम्हारा साथ दे दूंगी लेकिन कल फिर तुम क्या करोगी मैंने तुम्हें पहले ही कह दिया था।कि तुम्हें जिंदगी के सुनहरे पल आज दिख रहे हैं लेकिन कल तो तुम्हें संघर्ष करना ही पड़ेगा।लेकिन तुम बिल्कुल नहीं मानी इस तरह से उर्मिला और उमेश की जिंदगी में उतार-चढ़ाव शुरू हो गए।कोई साथ देने तैयार नहीं था।और नौकरी की भी लगातार बहुत कोशिश की लेकिन उसे भी कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही थी।उमेश को गुस्सा बहुत आती थी अपने गुस्से पर कोई कंट्रोल नहीं रहता था।उसकी मेहनत बहुत होती थी लेकिन उसके हाथ कुछभी नहीं लगता था।उमेश की गुस्सा दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी सारी गुस्सा वी उर्मिला के ऊपर निकालता था।गुस्से में आकर वह उर्मिला को अपशब्द कह देतालेकिन हद तो तब हो गई जब उसने और उर्मिला के ऊपर हाथ उठाने की कोशिश कर दी।
उर्मिला की बहुत समझाईश देने के बाद भी उमेश के बर्ताव में कोई फर्क नहीं आ रहा था।और उर्मिला हमेशा कहती थी कि हमें एक दिनसफलता जरूर मिलेगी।और उमेश जिद में रहता था कि तुम अपने घर वालों से पैसे मांग कर लेकर आओ!!और जब उर्मिला घर से पैसे नहीं लेकर आ रही थी तो घर में उमेश और उर्मिला का लड़ाई झगड़ा बढ़ता ही जा रहा था।और उर्मिला ने यह भी कहा- जब मैं तुम्हारे प्यार के कारण तुम्हारे साथ आ गई तो मैं अब पैसा कैसे मांग सकती हूँ।उमेश का बर्ताव बर्दाश्त के बाहर हो रहा था।अब सहन से बाहर हो रहा था।उर्मिला ने एक दिन उमेश के आने के पहले अपना सामानपैक किया और एक पत्र लिखकर टेबल पर रख दिया।मंगलसूत्र और अंगूठी भी रख दी।मन में सोच रही थी आज से मैं आजाद हूँ।उसने पत्र में लिखातुम्हें पाने के लिए मैंने सब कुछ छोङा और तुमने मेरेस्वाभिमान को ठेस पहुँचाई।मुझे जिस प्रेम सम्मान की ख्वाहिश थी वो सब खत्महो गया है मैं जा रही हूँ मुझे ढूँढने की कोशिश मत करना।प्यार हमारा अमर रहेगा।
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