प्रसिद्ध यात्री भाग 1

आज के समय यात्राएं करना पहले की अपेक्षा बहुत सरल हो गया है। अब हमें यातायात के लिए जितनी सुविधाएं उपलब्ध है पहले यह सब सुविधाएं नहीं थी। उस समय भी अनेक महान यात्री हुए जिनके बारे में जानना और नमन करना हमारे लिए गौरव की बात है। आइए जानते है उनके बारे में-
ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था जो हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा था। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत के बारे में लिखा है। उसके पुस्तक में किए गए वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक स्थितियों का पता चलता है। ह्वेन त्सांग की भारत यात्रा से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है कि ह्वेन त्सांग को भारत भ्रमण करने का ख्याल एक स्वपन देखकर आया था। उस समय चीन में चल रहे युद्ध के कारण उसका आना कठिन था परंतु अनेक प्रयासों के बाद वह लगभग 5000 मील की यात्रा कर भारत पहुंच ही गया। ह्लेन त्सांग इतिहास के पन्नों में एक महत्वपूर्ण नाम है जिसने न केवल भारत की संस्कृति एवं समाज की झलकियों को अन्य देशों में प्रसिद्ध किया बल्कि चीनियों को भी बुद्ध के संदेशों व उपदेशों से परिचित कराया।
फ़ाहियान एक चीनी बौद्ध भिक्षु, यात्री एवं लेखक था। वह गौतम बुद्ध के जन्मस्थल कपिलवस्तु की धर्मयात्रा पर निकला था और भारत से बौद्ध ग्रंथों की जानकारी एकत्रित कर चीन ले जाना चाहता था। उसकी यात्रा के समय गुप्त राजवंश के चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल था। पाटलिपुत्र में तीन वर्ष तक बौद्ध स्थलों का अध्ययन करने के बाद दो वर्ष उसने ताम्रलिप्ति में भी बिताए। यहाँ पर वह धर्मसिद्धांतों की प्रतिलिपि तैयार करता रहा। भारत से वापस चिएन कांग पहुंचकर वह बौद्ध ग्रंथों के अनुवाद के कार्य में लग गया। अन्य विद्वानों के साथ मिलकर उसने कई ग्रंथों का अनुवाद किया। उसने अपनी यात्रा का सारा वृत्तांत अपनी पुस्तक फो-कुओ-की (बौद्ध देशों का वृत्तांत) में लिखा है। फ़ाहियान ने अपनी पुस्तकों द्वारा गौतम बुद्ध के उपदेशों को लोगों तक पहुंचाने में एक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और बौद्ध धर्म को विश्वविख्यात बनाया।
~सुमेधा
विभिन्न स्त्रोतों से साभार।
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