
रुचि मित्तल
2 years ago
Member since Sep 15, 2020
अब तो तोड़ो चुप्पी
माँ-माँ उसने मुझे गलत तरीके से छुआ था, यहाँ और यहाँ भी मुझे दर्द हुआ था।
बस अब और नहीं
उसकी दोनों बेटियां मेरे पास पढ़ने आती थी शाम को वह उन्हें लेने आती।एक दिन दुपट्टे से अपने मुँह का निचला हिस्सा ढाप कर आई। मैंने पूछा,“यह...
प्रेम पत्र
सच तो यह है कि तुम मुझे बिल्कुल पसंद नहीं थीं...जहाँ-तहाँ बैठकर तुम बीट कर लेती थी। मेरी बालकनी मेरी न होकर जैसे तुम्हारी हो गई थी।...
आखिर कब तक...???
मैं एक ऐसी संकीर्ण मानसिकता,सोच या यूँ कहूँ कि रीति-रिवाज़ो की आड़ में होता आ रहा मानसिक शोषण इसकी ओर समाज का ध्यान ले जाना चाहती हूँ,...