सास का ........ बक्सा !!!!!!

माँ ये सास का बक्सा क्यूँ ?? बेटा ये हमारे यँहा बिहार में येरिवाज हैं ,की लड़की की शादी में सास का एक बक्साजाता हैं ।जिसमें खूब सारे कपड़े रखे जाते हैं ,कुछ खिलौने और कुछ ऐसी चीज़ भी जो दुल्हन की सासको बहुत पसंद हो ,पर माँ बाक़ी इतने सामान तो जा रहे हैं ,फ़िर ये क्यूँ ??
कोई भूल वश छूट जाये तो उसे तुम्हारी सासु माँ इसमें से देसकती हैं ,समझी ।पहले के लोग यूँही रिवाज नही बनाते थे,हर रस्मों रिवाज के पीछे कोई ना कोई कारण होता था । चल अब मुझे बातों में मत उलझा दो दिन बाद तेरी शादी हैं.... पर माँ मेरी सासु माँ कैसी हैं ?उनकी पसंद कैसी हैं ?येतो हमें ज़्यादा पता ही नही हैं ??
बोलो ना माँ मुझे डर ही लगता हैं ...
आप थोड़ा मेरे पास ही रहा करो ना फ़िर तो मैं चली हीजाऊँगी ,इसलिए तो आपको अपने आस पास देखनाचाहती हूँ ।
आओ ना माँ रश्मि के इतना बोलते ही मधु जी रो पड़ी ।तभी रश्मि के पापा आये "सुनो मधु देखो तुम्हारे मायकेवाले आये हैं "
चलो जल्दी अभी रोने -धोने का समय नही हैं ,
रश्मि के जाने के बाद रोना ...
अभी चलो मधु जी मनोज जी के साथ बाहर आ गईं शादीकी गहमा -गहमी थी सब एक दूसरे से मिलकर खुश हो रहेथे ।
रश्मि का भाईं रौनक़ तो बस उस पूरे हॉल को एक लाइटहाउस बनाना चाह रहा था ।
पूरे घर में पहली शादी थी ।सबके खूब अरमान थे । रश्मिकी दादी तो इस बार दादाजी से नयी बनारसी साड़ीखरीदवा ही ली "हाय !कितनी क़यामत लग रही हो दादी "
जब रश्मि ने दादी को बोला दादी भी पल भर को शरमा गईं।
सब कितने खुश हैं ,
उधर छोटी बुआ और मामी जी अपनी तैयारी में लगे हुए हैं।"पप्पू भैया आ गए "
भैया ...भाभी नही आई ??रश्मि ने मामा के बेटे पप्पू से पूछा" रश्मि वो तेरी भाभी के चचेरे भाई की शादी हैं ,ना वो वहीगई हैं "
चल मैं ज़रा सब तैयारी देख कर आता हूँ तभी रश्मि केपापा की आवाज़ आई "अरे भाई गुड्डु ...
वो लड़के वालो के लिए जो बस ठीक हुई थी । बारातियोंके लिए वो गईं या नही .....
भैया बस अभी निकली हैं ....वोल्वो की हैं ,
बाराती तो कल दिन में चलेंगे ना ??
हाँ -हाँ चलो सब अच्छे से हो जाये बस और क्या चाहिये ।
तभी छोटी बुआ ने रश्मि को कहा जा अब तू सो जा कलसुबह से बहुत रस्मों रिवाज शुरू हो जाएँगे फ़िर तुझे आरामकरने का भी समय नही मिलेगा ।
सुबह से फ़िर सब शुरू अपने काम में कंही गीत गाए जारहे हैं तो कंही पकवानो की ख़ुश्बू ।
छोटी बुआ रश्मि को तैयार कर रही थी ।
अब आज से तुम्हें हल्दी लगेगा बुआ वो पार्लर वाली ने कहाथा ,की फेश पर हल्दी मत लगाना ,वरना मेअकप अच्छा नही होगा ...
छोड़ ये सब हल्दी से ही तो दुल्हन का रूप निखरेगा क्या समझी ... ये सब करते करते ही शाम हो गई ।रश्मि को मेंहंदी लगाने वाली आ गईं ।
कितनी सुंदर लग रही थी ।रश्मि हल्के धानी रंग कीशिफ़ोन की साड़ी में फूलो के गहने पहने हुए मामी जी नेतुरंत उसे काला टीका कान के पीछे लगाया । चलो तुमआराम से मेंहंदी लगवाओ मैं देखूँ बाहर क्या शोर हो रहा हैं,
क्या हुआ दीदी ??
अरे रुनू भाभी बारातियों के बस का एक्सिडेंट हो गया वोफुलवारी वाली पुलिया पर बस नाले में गिर गई ,
हाय !राम ,
अब सब गए हैं ।
देखो सब काम थम गए ।जब पता चला की दूल्हे केपिताजी की मौत हो गईं ।मौसा जी की स्थिति गम्भीर हैं ।
अब क्या होगा मातम सा छा गया ।
धीरे -धीरे काना फ़ुसी हो रही थी ।
अब तो सब रश्मि को ही मनहूस ,अपशगुनी बोलेंगे तभी किसी ने रश्मि को बताया मेंहदी अभी आधी ही लगी थी ।पर मेहंदी वाली के हाथ रश्मि ने रोक दिये ।
बहुत रोने लगी मामी जी ने उसे अपनी गोद में लिटा कर चुपकरा रही थी । पल भर में पूरे घर में मायूसी छा गई थी ।
गीत बंद हो गये थे तभी रौनक़ आया उसने कहा की बस ये बताने आया हूँ की सब कुछ रोक दिया जाये । अब कलमुदित जी ( रश्मि के होने वाले पति ) के पापा और मौसाजी का अंतिम संस्कार होगा इसलिए शादी तो अब कल नही हो सकती । मधु जी बेहोश हो गईं ।सब उनको देखने लगे । दादी मुझे तो सब अपशगुनी बोलेंगे ना रश्मि ने कहा" नही मेरी लाडो तू ऐसा कुछ मत सोच " चुप हो जा । सबकुछ दूसरे दिन हुआ ।पर मुदित जी रश्मि से मिलने नही आये ।
वो उधर से ही वापस भागलपुर चले गए ।
साथ में रश्मि के पापा मम्मी , भाई चाचा और मामा भी गये।
तीन दिन तक रश्मि भी खूब रोई । उसे बार -बार लगता की मुदित उससे मिलने क्यूँ नही आये । आज सब भागलपुर से वापस आये दौड़ कर रश्मि बाहर आई क्या हुआ माँ ?? बोलो ना वँहा सब मुझे अपशगुनी बोल रहे होंगे ना ??और ज़ोर -ज़ोर से रोने लगी ,रो तो मधु जी भी रही थी तभी रश्मि के सर पर किसी ने प्यार से हाथ फेरा मत रो मेरी बेटी किसने कहा की तुम अपशगुनी हो .....
रश्मि ने सिर उठया तो ये क्या ये तो मुदित की माँ और पीछेमुदित भी हैं ।रश्मि और ज़ोर से रोने लगी मुझे माफ़ कर दीजिए माँ क्यूँ बेटा जो होना था ,वो तो विधी का विधान था फ़िर तुम कैसे अपशगुनी हो गईं...बाबू मेरी ...
तभी मुदित ने कहा रश्मि ..
पापा और मौसा जी का जाना बहुत बड़ा ग़म हैं ,
हम सबके लिये तुम्हारे लिए भी फ़िर ग़म तो बराबर का हैं फ़िर कोई अकेला दोषी कैसे ... बस मैं एक महीने बाद आऊँगा ।
तुम्हें ब्याह कर ले जाऊँगा । ये मेरा वादा हैं .... माँ की भी यही इक्क्षा हैं ।पापा की भी यही इक्क्षा थी । सासु माँ नेप्यार से रश्मि को गले लगाया । बस बेटा हम तेरे लिए हीअभी आये हैं। तुम्हें विश्वास दिलाने की तुम्हारी डोली तोमेरे घर ही जायेगी समझी
ज़िंदगी में शुभ -अशुभ शगुन और अपशगुन कोई इंसाननही होता हैं ...
ये सब वक्त का होता कभी हमारा तो कभी काल क़ा !!!! ये मेरे विचार हैं .
आपकी ......
अल्पना !!!
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