सच्ची सेवा #दयालुता

सोसायटी में सभी महिलाएं शाम को एक साथ बैठकर बातें कर रही थीं।तभी अनुराधा जी की काम वाली बाई सविता वहां से गुजरी। देखते ही उनमें में से एक रेखा जी ने उसे रोक कर कहा -"अरे सविता!,तुम इस वक्त? लॉकडाउन के बाद आज दिखी हो?"
सविता -" नमस्ते मैडम ,वो अनुराधा दीदी ने बुलाया है।"
बीना जी -" तेरी मैडम तो बड़ी कंजूस है,जाने कैसे तू उस घर में काम करती है,क्यों रेखा याद है,कितनी बार हमने उसे कहा कि चलो कोरोना काल में पास की झुग्गी में चल कर कुछ सामान दान कर आते है तो कैसे बगल से मुस्कुरा कर चली गई,ना कोई दया न दान धर्म।
अब देखो ,हम लोगों ने तो पहले दो महीने के बाद ही अपनी बाइयों को बुला लिया ,और अनुराधा को तो सविता पे तरस भी नही आया ,आज बुला रही है मैडम,देखो बेचारी ने कैसे काटा होगा मुश्किल भरा समय।"
सब आपस में अनुराधा की कमियां निकालने लग गए।
अनुराधा जी ,एक घरेलू और सभ्य महिला थी।अपने काम से काम रखती थीं।इसलिए अधिकतर लोगों को खटकती थीं।हालांकि दिल से प्रेम और ममतामई थी ,वरना कौन गरीब बच्चों को घर बुलाकर मुफ्त शिक्षा देता है ।
परंतु पिछले एक साल से सब बंद कर रखा था।
"अरे सब दिखावा ही करती हैं।पैसे वालों के नखरे भी बहुत होते है" उनमें से एक महिला ( कविता जी ) बोल उठीं।
तभी सविता ने सबको रोक कर कहा -" बस करिए मैडम,बिना जाने किसी के बारे में राय बनाना सही बात नहीं।छोटा मुंह बड़ी बात कह रही हूं,मैडम आप लोगों जितनी समाज सेवा की उसकी तस्वीरें भी उतनी ही खिंचवाई,मगर अनुराधा दीदी ने जो मेरे और ड्राइवर काका के लिए जो किया उसका जिक्र भी किसी से नहीं किया,पर आज मैं आपको सब बताऊंगी।
लॉकडाउन के साथ ही मेरे पति को कोरोना हो गया था ।काम भी बंद ,और आफत अलग ।अगर अनुराधा दीदी ना होती तो शायद आज में सही हालत में ना होती।ईश्वर की तरह पूरे के साल से बिना कुछ कहे हमें हमारी पगार भी दे रही है साथ ही मेरे बच्चों की पढ़ाई की फीस भी दे रही है।
ना सिर्फ मेरा ,बल्कि ड्राइवर काका को भी मदद कर रही है ।पर मज़ाल है कभी एहसान जताया हो। हमारी अनुराधा मैडम से दयालु भला कौन हो सकता है।
दीदी,आप लोगों से विनती है ,मुझे माफ कर दें और कम से कम बिना जाने किसी के बारे में गलत न बोलें।"
सारी महिलाएं अनुराधा जी के बारे में गलत सोचने के लिए बहुत पछतावा महसूस कर रही थीं। और उनकी दयालु स्वभाव की तारीफ कर रही थीं।
#दयालुता
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