सर्दियों की यात्रा: Blog post by Ruchika Rai

बात तकरीबन दस वर्ष पहले की है,हर जाड़े में मैं इलाज के लिए केरल चली जाती थी,एक तो ठंड से राहत मिल जाती थी दूसरे मेरा इलाज भी हो जाता था।ठंड के दिनों में केरल का तीन दिवसीय ट्रैन का सफर बहुत ही कष्टदायक होता था क्योंकि आधे रास्ते तक हाड़ कँपा देने वाली ठंड पड़ती थी।चूँकि आर्थिक स्थिति के अनुसार स्लीपर कोच से हम जाते थे तो सफर के लिए सारे इंतजाम हमें करने होते थे जैसे गर्म कपड़े ,कम्बल वगैरह पर पता नही फिर भी ठंड किस कोने से घुस आता था और हड्डियों तक मे घुस जाता था।खैर तीन दिनों की यात्रा के बाद जब हम केरल पहुँचते तो यात्रा का कष्ट भूल चुके होते और फिर जब खबरों में उतर भारत में शीत लहर का प्रकोप जारी जैसे समाचार देखते तो लगता कि काश जब पूरी ठंड खत्म हो जाये तब ही हम यहाँ से जाए।
एक हमारे जानने वाले थे जिनसे हम केरल यात्रा और मौसम का जिक्र करते तो उन्हें यकीन नही आता,उन्हें भूगोल के माध्यम से भी समझाकर हम थक चुके थे।फिर हमारा एक बार जाना हुआ वो भी साथ हो लिए।मना करने के बावजूद कई जोड़ी स्वेटर मफलर चादर इत्यादि उन्होंने अपने सामान के साथ कस लिया था।
और शरीर पर तो पहले से ही कपड़े ज्यादा थे।जैसे जैसे दक्षिण भारत में हमारी ट्रेन घुसती गयी,गर्मियों ने अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया,शरीर पर के गर्म कपड़े धीरे धीरे खुलने लगे।गंतव्य तक पहुँचते पहुँचते कपडो की संख्या न्यूनतम हो चुकी थी और एक अतिरिक्त सामान तैयार हो चुका था ढोने के लिए।
जब वह पीठ और दोनो हाथों में पकड़ चलने लगे तो खूब चिल्लाये पहले यहाँ के मौसम का क्यों नही बताया।
और हमारी हँसी रुक नही रही थी,क्योकि बार बार समझाने पर भी वो समझ नही रहे थे।
ऐसी रही हमारी शीत की कई अनुभवों से जुड़ी यात्रा।।
#सर्दियों की गर्माहट
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