सदा के लिए अंकित हैं,यादों में वो पल: Blog post by Sunita Tiwari

"हेलो श्वेता!!! आज हम सभी मेरे घर की छत पर बैठेंगे....क्योंकि आज मैंने कुछ स्पेशल बनाया है...धूप में बैठकर लुत्फ उठाएंगे...मैंने सिमरन को भी फोन कर दिया है...तो अपने फिक्स टाइम पर मिलते है!!!!!
ये रीमा थी,जो सखि को फोन कर रही थी। श्वेता,रीमा और सिमरन...तीन पक्की सहेलियां!!! अपने हर सुख दुख,एक दूजे संग साझा करतीं। सास - जिठानीयों संग कैसे तालमेल बैठाना है से लेकर बच्चों की पढ़ाई,करियर.... पति से किस बात पर झगड़ा हुआ और किस बात पर प्यार.....सभी बातें जब तक एक दूसरे से कह सुन ना लेतीं.....उनको चैन नहीं मिलता था। बच्चों को स्कूल,पतियों को ऑफिस भेज...फटाफट घर के सभी काम निबटाकर बारह बजे तक,बारी बारी से एक दूसरे की छत पर जम जातीं। साथ में होती मूंगफलियां नमक और रेवड़ी संग... ताजे अमरूद...हाथों में ऊन और सलाइयां.... डिजाइन की किताबें......और ढेर सारी बातों का बड़ा सा गठ्ठर!!!!!
कभी कभी कुछ स्पेशल बनातीं,तो जब तक एक दूसरे को खिला न लेतीं...चैन ना मिलता। क्या नया लिया....कहाँ घूमने जाने है....सासूमाँ ने क्या क्या ताने सुनाए और जेठानी या ननद महारानी कैसे मुस्कुराई...उन तानों को सुन....ये भी कह सुन कर दिल हल्का कर लेतीं। लेकिन क्या मजाल जो अपनी जिम्मेदारियों में एक तिनका भी कमी करें।
बच्चों के स्कूल से लौटने से पहले तीनों अपने अपने घरों को लौट लेतीं। लेकिन ये दो घंटे वो अपने जीवन के,अपने दिन के स्वर्णिम घंटे मानतीं......इन्हीं दो घंटों में मानो उनको जीवन जीने की संजीवनी मिल जाती थी।
मोहल्ले के लोग इनकी दोस्ती से जलते,भुनते.....आपस में झगड़े कराने के उपाय ढूढंते....लेकिन इन तीनों की कान पर जूं भी ना रेंगते!!! तीनों अपनी ही दुनिया में मगन...सर्दियों की धूप का आनंद लेती हुई...जीवन का आनंद भी उठाती रहतीं।
ऐसे ही सालों साल बीत गए!!! बच्चे बड़े होकर बाहर पढ़ने के लिए निकलने लगे...फिर श्वेता के पति का तबादला दूसरे शहर हो जाने से....इनके खुशनुमा पलों को विराम लग गया!!!!
समय के साथ बहुत कुछ बदल गया!!!! नहीं बदली....तो सिर्फ उनकी दोस्ती!!! अलग अलग शहरों में रहते हुए भी,दिल से जुड़ी हैं। एक दूसरे के सुख दुख में हर पल शामिल !!!
आज भी तीनों उन सुनहरे पलों की यादों में डूबती उतरती रहती हैं!!!!
#सर्दियोंकीगर्माहट
#कुछ तेरी मेरी यादें सर्दियों की
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