शुक्रिया २०२०, देशसेवा का सुअवसर देने के लिए

प्रत्येक नववर्ष अपने साथ खुशियों के लिए पोटली लेकर आता है। वर्ष 2020 का सभी ने दिल खोलकर इसका स्वागत किया। अभी स्वागत की खुमारी उतरी भी ना थी कि पूरे संसार को कोरोना रूपी महामारी ने जकड़ लिया।बीमारी भी ऐसी लाइलाज , जिसके कारण सभी अपने घरों में सिमट कर रह गया। लॉकडाउन के कारण काम धंधा ठप्प होने की वजह से खाने पीने की समस्या उत्पन्न हुई और लोगों ने गांव की तरफ पलायन शुरु कर दिया।उस समय सरकार व अनेक प्रबुद्ध लोगों ने पलायन रोकने के लिए ,अपने अपने स्तर पर राशन वितरण शुरू करवाया।
इसके लिए स्कूलों में सूखा राशन व तैयार भोजन बंटवाना शुरू किया गया। इस भोजन व राशन वितरण में सरकारी स्कूलों में नियुक्त अध्यापकों को लगाया गया।चूंकि मैं भी एक सरकारी प्राइमरी अध्यापिका हूं इसलिए मेरी भी भोजन वितरण में ड्यूटी लगी।यह अप्रैल माह की बात है। उस समय यह महामारी बिल्कुल चरम पर थी। राशन वितरण में अपना नाम देखकर, पहले तो मैं और मेरा परिवार बहुत ही परेशान हुए। टीवी पर रोज इस महामारी की भयावहता देख हम सब डरे हुए थे।
साथ ही पशोपेश में थे कि क्या करें क्या नहीं! लेकिन अपने साथ साथ जब गरीब व जरूरतमंद लोगों की समस्याएं देखती तो अपनी समस्या इसके आगे बहुत ही छोटी लगने लगती। मन ही मन निश्चय कर लिया था कि डरकर जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना तो कायरता की निशानी होगी। ऐसी चुनौतियां तो जीवन में पग-पग पर आएंगी और मैं उनसे हर बार तो मुंह नहीं मोड़ सकती।मेरा एक भी भीरूता भरा निर्णय मेरे बच्चों को भी गलत संदेश देगा।
जब एक सिपाही खुशी-खुशी समर में कूद सकता है, डॉक्टर अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना रात दिन मरीजों की सेवा में तत्पर है , फिर मैं क्यों नहीं! जब आज मुझे देशसेवा का यह अवसर मिला है तो मैं कैसे अपनी पीठ दिखा दूं!
उसके बाद मैंने राशन वितरण ड्यूटी तो की, साथ ही कंटेनमेंट जोन में सर्वे भी किया। शुक्रिया 2020 मेरी इच्छाशक्ति को मजबूती के साथ, मुझे अपने जीवन में देशसेवा का यह छोटा सा सुअवसर प्रदान करने के लिए।
सरोज ✍️
#शुक्रिया 2020
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