टैग : #हर एक फ्रंड जरूरी होता हैं
दोस्ताना
नेहा और कमला बचपन से ही साथ बढे और पले। नेहा के पिता एक बड़े अधिकारी थे और वही कमला के पिता के नेहा के बंगले में माली का काम करते और उन्हीं के बंगले के आउटहाउस में रहते, कमला की मां घर के कामों में नेहा की मां की मदद करती।...
एक दोस्ती का वादा खुद से भी
कॉलेज के गेट पर खड़े होते ही विनय को अंदाजा हो गया था कि बाबुजी के कहने पर वह दूसरी दुनिया में आ गया था। माँ के हाथ से प्रेस कर के दी हुई बढ़िया क्रीज वाली शर्ट और फॉर्मल पैंट पहन कर मुंबई के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज पहुंचा था...
कृष्ण - सुदामा की अमर दोस्ती
हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु, माता-पिता , के साथ-साथ मित्र को भी मुख्य स्थान दिया गया है।ज्ञान, प्रेम, आदर -सत्कार तथा मित्रता भारतीय संस्कृति के आधारभूत स्तंभ रहे हैं।मित्र का न रंग -रूप , न धन- दौलत देखी जाती...
हर एक फ्रेंड जरूरी होता है
सरला जी बरामदे में आधे घन्टे से घूम रही थी कभी घड़ी देखती तो कभी दरवाजे की और। चेहरा देखकर साफ लग रहा था कि बहुत परेशान है। तभी दरवाजे पर मोटरसाइकिल की आवाज आई। सरला जी ने तुरंत दरवाजे से बाहर देखा।...
जिंदगी में दोस्त है ना तो क्या गम है
जिंदगी में कई रिश्ते हमारे जीवन का आधार होते है तो कुछ छत की तरह होते है जो हमे छांव देते है पर हमारे दोस्त ईन दोनों के बीच खम्भों की तरह है जो हमे सपोर्ट देते है। मुझे लगता है शायद ही कोई होगा जिनके कोई दोस्त नहीं...
देखा है ऐसा रिश्ता दोस्ती का
सुबह सुबह जब नींद के आघोष में सरला सो रही थी, तभी घड़ी का अलॉर्म बजा, उफ्फ ये कमबख्त अलार्म किसने रखा मेरे कमरे में। जरूर काजल होगी।उठकर अलार्म को शांत किया ताकि शांति से कुछ देर और सोया जा सके। जैसे ही हाथ बढ़ाया...
मन की बात हर एक फ्रेंड जरूरी होता हैं
ज़िंदगी के हर पड़ाव में एक दोस्त की जरूरत होती हैं दोस्त शब्द माना बहुत छोटा सा लेकिन इसका अर्थ वो ही समझ सकता हैं जिसके पास एक सच्चा दोस्त हो जिससे अपने जीवन की सभी बातें उसके साथ शेयर कर सके। दुःख और सुख मिलकर बाँट सके,औऱ तो और...
दोस्ती का रिश्ता होता है कागज़ और कलम का
दोस्तो जिंदगी में हम अनगिनत दोस्त बनाते है, जो कभी लंबी दूरी तय करते है हमारे साथ , तो कभी कारणवश बीच रास्ते मे छोड़ जाते है। बहुत कम दोस्त ऐसे हो पाते है जो ताउम्र जिंदगी में...
दिल से दोस्ती तक
जीवन के पचासवें बसंत में प्रवेश करती एक महिला अपनी सखियों को इस तरह से याद करती हैं ... याद करती हैं वह अपने बचपन के दिनों को,याद करती हैं अपनी दोस्ती और सखियों को,
मेरी जिंदगी संवारी, मुझको गले लगाकर
स्मृति और अपेक्षा दोनों पक्की सहेलियां थीं। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि देख कर कोई कह ही नहीं सकता था कि वो बहनें नहीं हैं। जिंदगी की कोई खुशी नहीं थी जो दोनों एक दूसरे से न बांटे और न ही कोई गम था जब दोनों की आँखों में एक साथ...