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होली आई हैं
होली आई है हर दिल मे खुशिया लाई है ...एक नशा भांग के संग हर पल मस्ती छाई है ... मृदंग के ताल पे जब झुमे मस्तानो की टोली ...बिखर के रंग आसमान में , मनाए प्यार भरी होली ... त्याग के घमंड अहंकार को , सबको...
ग्वाला चुपके से घर-आंगन में आता है
ना जाने कैसा रंग डाला ना जाने कैसा तुने मुझ पर रंग डाला , तन पर तो कोई रंग नहीं है , मन रंगों से भर डाला । मन मेरे में चुपके से आके बस गया एक नटखट ग्वाला , कोरी मन-चुनर को उसने भिगो डाला । भर नैनों में लाज...
मेरे वजूद का हिस्सा है कविता
अनु जी आपके लिखें शब्दों ने वह जादू किया कि मन मेरा भी व्याकुल हो उठा कि आखिर मैं भी तो सोचूं कि वाकई क्या है कविता ? आपके शब्दों से प्रेरित होकर मैं यह लिख रही हूं : मन का पहला भाव है कविता संकोच मन को...
कविता क्या है?
आज विश्व कविता दिवस है तो मन में आया कविता क्या है ?उसी पर मेरी चंद पंक्तियां किसी के लिए प्यार है कविता किसी के लिए विरह वेदना अपार है कविता किसी के लिए रस है
अनेक रंग फाल्गुन के
लो आ गया फागुन सखी लेकर बसंत की शोभा अपार कर प्रकृति नववधू सा श्रृंगार नव पल्लव कुसुमित बहती बयार। फैली बसंत की ख्याति चहुं ओर चारों दिशाएं है चकित आई है प्रकृति ओढ़ कर चादर हरित कर देता है सबको मदमस्त...
मेरा मन एक पंछी आवारा
इस नितदिन भागती दुनिया में, अब दौड़ दौड़ के थक गयी , दूजों के खातिर जीते जीते , मैं देखो कितना पक गयी । कुछ सपने...
वो इंसाफ चाहती है
वो चीखती रही चिल्लाती रही, धीरे धीरे उसकी आवाज़ भी जाती रही वो हैवान थे, दरिंदे थे, बड़े ही बेरहम वो गुंडे थे देख उसे अकेली रात में अपनी हवस मिटाने उसके पीछे निकल पड़े ...
मैं स्त्री हूँ
मैं स्त्री हूँ पल पल मुझे तोड़ा जाता है हर उम्मीद आशाओ को मुझसे ही क्यों जोड़ा जाता है ? कभी कोख में करते कत्ल मेरा कभी सरेआम बेआबरू करते है बेवजह उठाते हाथ कभी ...
यूनीक हूं मैं
यूनीक हूं मैं, नही होना मुझे पुरूष जैसी, दो विपरीत धुर्वो के बीच कैसी समानता, हां, दोना का होना जरूरी है, सृष्टि का अस्तित्व बचानें को, मैं... सृजना हूं, तो कमतर...
पहला इंटरव्यू
पाउडर लिपस्टिक लगा कर हुई सज धज के मैं तैयार .. सबसे पसंदीदा साड़ी पहनी, पर्स लिया निकल पड़ी आज मैं बनाने खुद की पहचान, डरी सहमी बैठी रही करती रही खुद की बारी आने का इंतज़ार शादी के बाद आज पहला...