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कोई तो होता सुनने वाला

बरसों तक सहते रही सितम, चुभी बातें जैसे नश्तर, वो कुछ कह न सकी, बनी मानिंद कोई बेज़ुबां पत्थर । मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा खींच दी उसके चारों ओर, तोड़ देती बंधन छोड़ देती चौखट तो मच जाता शोर। कुलक्षणा,...

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गर्व से कहती हूं नहीं मैं नहीं हूं चांद सी

खुला छप्पर खुला आसमान...बस चांद गौर किया दिन रैन...चढ़े मुझ पर भी उसका रंग...गुजरे जमाने नित नए रंग... बचपन से मन भरमाया सब...चांद सी सुंदर हो कहते बस...बनते-बनते चांद जैसा बनी...मैं सजावट...

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अधिकमास, मलमास या पुरूषोत्तम मास का महत्व 

अधिकमास, मलमास या पुरूषोत्तम मास का महत्व  पितृपक्ष समाप्त होने के अगले दिन शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है क्योंकि इस साल अधिक मास लग गया है। अधिक मास तीन साल में चंद्रमा और सूर्य के बीच...

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भोजन को स्वादिष्ट करने वाले आसान और असरदार उपाय 

रसोई घर में खाना बनाना हर महिला की जिम्मेदारी होती है ।यह उसी के ऊपर निर्भर होता है कि वह खाने को किस प्रकार टेस्टी, हेल्थी और जल्दी पकाए।  कभी-कभी ऐसा होता है कि मेहमान घर में होते हैं तो हमारे हाथ पैर फूल जाते हैं...

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हमें गर्व है अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर

 #हिंदी मेरी प्यारी भाषा #हमें गर्व है अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर। हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है।  इस पर हमें गर्व है। हिंदी भाषा विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा हैं। इसलिए हम 10 जनवरी को विश्व...

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महादेवी वर्मा की एक मार्मिक कहानी गौरा गाय

  #पुस्तकें मेरी गुरु इंसान आदिकाल से लिखता आ रहा है। विभिन्न लेखकों द्वारा विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखी गई हैं। ये पुस्तकें ज्ञान का एक भंडार हैं। वे हमें अतीत से परिचित कराती हैं, हमें भविष्य के प्रति...

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बहु हूँ बेटी ना बन पाई

छोड़कर बाबुल का घर - अंगना पहुंची ससुराल की देहरी के लिएआंखों में भरे थे सपने हजारदिल में ढेर सारी प्रीत लिए भूल कर अपना बचपन...

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आधुनिक काल की मीराबाई " महादेवी वर्मा "

#इतिहास के पन्नों से मेरी मनपसंद लेखिका   आधुनिक काल की मीराबाई " महादेवी वर्मा " कवि या लेखक बनाए नहीं जाते हैं। यह तो उनमें जन्मजात गुण होते हैं । इसकी प्रतिभा उनपर बचपन से ही फलती फूलती है ।इस लेखन प्रतिभा...

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क्या सच में बहु , बेटी बन पायी है?

क्या सच में बहु ही बेटी है? #Poetry Week  सुसराल में कहा बहु भी तो बेटी होती है ,लेकिन हो रहा है बेटी और बहु में फर्क ... बेटी ने माँ को जवाब दिया तो बोला अभी है नासमझ ,बहु ने...

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फिर भी क्यों लगता हैं मैं बहू से बेटी ना बन पाई

फिर भी क्यों लगता है मैं बेटी ना बन पाई ************************** क्या लिखूँ क्या नही , एक अजब सी उलझन में हूँ ...कुछ सवालों के जवाब को सुलझाने की सुलझन में हूँ ...जब बेटी का जन्म हुआ तो कहलाई आँगन...

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