तमाचा (कहानी भाग-2)

तमाचा  (कहानी भाग-2)

कहानी का पहला भाग -https://www.thepinkcomrade.com/hi/tamacha-bhag-1

कोमल ऐसा प्रण लेने के बाद भीतर से पत्थर बन जाती है। उसे अब किसी की आवाज़ या आवश्यकता नहीं पड़ती। वो अब न अपने मायके, न ससुराल और न कोई रिश्तेदार किसी से बात नहीं करती।

करती भी कैसे उसने उसी दिन जब प्रण किया तब उसके बाद ही उसने कराटे क्लासेस में एनरोलमेंट करवा लिया था और वैभव के ऑफिस जाने के बाद वह दो घंटे रोज़ बिना नागा किसी से बात किए बगैर अपने लक्ष्य को ध्यान रखते हुए रोज ऑनलाइन प्रशिक्षण लेती थी।

ये सिलसिला करीब तीन महीने तक चला। इस बीच वैभव ने कोमल से बात करने की कोशिश करी पर कोमल ने वैभव की सब बातें अनसुनी कर दी।

कोमल की देखा-देखी उसके 8 साल के जुड़वा बेटों आर्यन और रूद्रांश ने भी कराटे सीखना शुरू कर दिया। कोमल जब ऑनलाइन प्रशिक्षण लेती तो वो दोनों कोमल को देखते रहते और देखते देखते ही वह भी अच्छा प्रयास करने लग गए।

दिन निकलते रहे। तीन महीने बाद कोमल का प्रशिक्षण पूरा होने को था। एक रोज़ रात को जब कोमल अपने बच्चों को लेकर शयनकक्ष में रात की गहरी नींद में थी कि तभी वैभव कोमल के कमरे का दरवाज़ा जोर-ज़ोर से पीटना शुरू हो गया।

"कोमल मुझे क्या अब तुम्हारा प्यार कभी नहीं मिलेगा। मैंने तुमसे माफी भी माँग ली है। अब तो मुझे अंदर आने दो। बच्चों के पास आने दो"
अकेलेपन से वैभव उक्ता कर कोमल के कमरे की चौखट पर आ कर बार बार दरवाज़ा पीट कर अंदर आने की गुहार लगाए जा रहा था।

"वैभव चले जाओ यहाँ से। अब मेरा तुमसे कोई वास्ता नहीं। मैं सिर्फ इस घर में अपने बच्चों के खातिर रह रही हूँ और वो भी पसंद नहीं तो बता दो हम चले जाएंगे। वैभव तुम मेरी रूह से मेरे ज़हन से हमेशा के लिए उतर चुके हो। अब मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा"
कहते हुए कोमल ने अपने पास डंडा रखकर सो रही वो उठा लिया अपनी और बच्चों की हिफाज़त के लिए। आज उसने ठान लिया था कि अगर आज वैभव ने उसके साथ ज़ोर जबरदस्ती करी तो वो वैभव को सज़ा देकर रहेगी... मगर...

मगर तभी उसे अचानक खटर पटर की आवाज़ सुनाई दी और थोड़ी देर बाद खट की आवाज़ सुनाई दी जैसे किसी ने किसी पर तेज़ प्रहार किया हो कि तभी वैभव की चिल्लाने की आवाज़ कोमल को सुनाई दी।

उसने कमरे के दरवाज़े से बाहर झांक कर देखा तो दो हट्टे कट्टे चोर घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे और वैभव ने उनकी पतलून पकड़ रखी थी जिसको छुड़ाने के लिए उन्होंने वैभव की टांगों पर डंडे से प्रहार कर दिया था जिससे वैभव बुरी तरीके से घायल हो गया था।

ये देख कोमल तुरंत शेरनी की तरह चीखती हुई डंडा लेकर कमरे से बाहर छलांग लगाती हुई दौड़ी और चोरों पर झपट्टा मारते हुए दोनों चोरों पर ताबड़ तोड़ डंडे बरसा दिए।  कोमल गुस्से में चोरों पर डंडे बरसाते हुए उन्हें गाली देते हुए इस कदर चिल्ला रही थी मानो वो वैभव की पिटाई कर रही हो....

"रुक तू......बताती हूँ तुम्हें...चोरी करोगे....तुम जानते नहीं हो किससे पाला पड़ा है। खबरदार फिर कभी इस घर में घुसने की कोशिश करी तूने तो।  न सर तोड़ दिया तो कहना....रुक तू"
कोमल पागलों की तरह डंडे पर डंडे बरसाए जा रही थी और वैभव की ये दृश्य देख कर सिट्टी पिट्टी गुम थी कि कोमल कहीं पागल तो नहीं हो गई।

इतनी देर में कोमल के बच्चों ने पुलिस को बुला लिया और वो चोरों को पकड़ कर ले गई।

वैभव बड़ी मुश्किल से लंगड़ाते लंगड़ाते कोमल के पास पहुंचा......
"क..कोमल तुमने ये सब कब सीखा। तुम्हारा ये रूप मैंने आज से पहले कभी नहीं देखा। इतनी नफरत कब पैदा हो गई कोमल तुम्हारे अंदर। अब मुझे तुम्हारी आँखों में मेरे लिए कोई प्यार नज़र नहीं आता। तुम कठोर कोमल बन गई हो। पत्थर की हो गई हो। मुझे सच में माफ कर दो। अपने किए पर बहुत ......."

वैभव की बात पूरी होने से पहले ही वैभव का हाथ झटक कोमल अपने बच्चों को ले अपने कमरे में वापस चली जाती है और जाते जाते बोलती है

"वैभव तुम्हारा और मेरा रिश्ता सिर्फ इन बच्चों के माता पिता के रूप में रहेगा क्योंकि मैं चाहती हूँ ये बच्चे अपने माँ-बाप के साए में बड़े हों परंतु मुझे तुम्हारी एक पति के रूप में कोई ज़रूरत नहीं। पिछले दस सालों में तुमने मुझे प्रताड़ित करने का एक भी मौका नहीं चूका तो अब तुम ये अधिकार खो चुके हो और यही मेरा तमाचा है जो तुम्हें हमेशा याद रहेगा। यदि मुझे छूने या हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना वरना मैं भूल जाऊंगी कि तुम कभी मेरे पति भी थे।" कहते हुए दरवाज़ा बंद कर लेती है..

अब कोमल का प्रशिक्षण पूर्ण हो जाता है और वो उसी कराटे प्रशिक्षण संस्थान में बतौर एक कराटे ट्रेनर के रूप में प्रतिष्ठित पद पर चयनित हो महिलाओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण देना शुरू कर देती है। यही उसकी जीत होती है और वैभव के मुंह पर एक कड़वा तमाचा मार देती है।

दोस्तों ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है पर अगर सत्य भी होती तो मैं यही कहूंगी कि यह वक्त कोमल बनने का नहीं ब्लकि कठोर बनने का है। अपने अंदर कठोर कोमल पैदा करिए और अपने भाग्य को रोने से अच्छा है खुद को मुसीबतों से सामना करने के लिए तैयार करें क्योंकि

ये मत कहो खुदा से
मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
यह मुश्किलों से कह दो
मेरा खुदा बड़ा है आती है
आंधीयाँ तो कर उनका खैर मकदम
तूफान से ही तो लड़ने खुदा ने तुझे जड़ा है

यकीन मानिए हम एक कदम बढ़ाएंगे तो खुदा हज़ार कदम बढ़ाऐगा।

पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके भी व्यक्ति का इंतजार रहेगा कृपया मुझे फॉलो भी कर लीजिए।

आपकी दोस्त
वाणी राजपूत

What's Your Reaction?

like
1
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0