दुआओं की अमानत होती हैं बेटियां

लोगों के लिये शायद मेरा वजूद "बेटियों की मां" का है... जिन्हें मैं बहुत ही लाचार और मायूस लगती हूं। लेकिन कभी भी एक पल के लिए भी नहीं, मुझे ऐसा लगा कि मैं बेटियों की मां बनकर खुश नहीं हूं। सच तो यही है कि हमेशा मैनें यही सबसे कहा भी और महसूस भी किया कि बेटियां ही मेरी ताकत है।
हां, मैं भी डरती हूं इसलिये नहीं कि बेटियों की मां हूं बल्कि इसलिए कि पता नहीं बेटों की मांओं ने अपने बेटे को अच्छे संस्कार दिए की नहीं। मैनें हमेशा अपनी बेटियों को एक ही बात समझायी कि गलत कभी करना नहीं और गलत कभी सहना नहीं। कोई तुम्हें मारे तो मार कर आओ लेकिन कभी भी खुद पहले हाथ मत उठाओ...
सास-ससुर और रिश्तेदारों ने कहा कि ज्यादा मत पढ़ाना और सही समय पर शादी कर देना... तब मैनें उनसे यही कहा कि उनकी शादी कब करूंगी, पता नहीं लेकिन मेरी बेटियां पढ़ेंगी और खूब पढ़ेंगी और पहले आत्म-निर्भर बनेगी ताकि आत्मसम्मान के साथ समाज में अपने अस्तित्व का और मेरे वजूद का परचम लहरा सकें। मेरी बेटियां क्या है मेरे लिए यह मैं अपनी कविता से बताना चाहूंगी... मेरे जज्बात मेरी बेटियों के नाम "दुआओं की अमानत"...
सांसों की सौगात हो
खुशियों की बौछार हो
उगते सूरज की रोशनी हो
चांद की शीतल चांदनी हो..
जीवन के पुण्य का अहसास हो
बाबुल के आंगन की शान हो
न झुकने दिया मान कभी
सम्मान की अधिकार हो...
नाजुक हो, लेकिन कमजोर नही
मीठी मिस्री सी मुस्कान की डली हो
सबको अपने मे समेटे खूबसूरत डोर हो
मेरे मातृत्व की गरिमा का आगाज हो
मेरी बेटियां मेरा अभिमान है
चिड़ियों सी चहकती गान है
मेरी दुआओं का वरदान है
मेरी बेटियां मेरी जान है...
आज सिर्फ एक इस दिन के लिये नहीं,
हमेशा मेरी दुआओं की अमानत हो तुम
बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
अर्पणा जायसवाल
#बेटी
What's Your Reaction?






