तेरे संग बिताए हर लम्हे को जहां संजो लूं

हां चाहती हूं मैं तेरे घर का एक कोना
जैसी भी हूं सबसे जुदा हूं मैं
ना मुझसे ऊपर कोई ना मुझसे अच्छा कोई
ख्वाहिशों संग झूमती इतराती हूं मैं
उषा की किरणों सी रक्तिमा फैलाती किसी की किरण हूं मैं
तेरे संग बिताए हर लमहे को जहां संजो लूं ऐसा एक कोना चाहती हूं मैं
अपने संग तेरा भी अक्स दिखे किसी कोने में ऐसा आईना भी चाहती हूं मैं बड़ों की बड़ों की यादों से सजा "आला" हो जिस कोने में ऐसा एक कोना चाहती है मैं
अपने चाहतों की बगिया सजा सकूं ऐसा एक कोना चाहती हूं मैं
समा जाए सारी खुशियां सारी तमन्नायें और सारे अरमान
हां तेरे घर में एक कोना चाहती हूं
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