उस रात की गाथा #बात एक रात की

बात एक रात की ज़ुबाँ तक आ गई
उन वीर जवानों ने माटी का कर्ज़ चुकाया था
सर्जीकल स्ट्राइक कर देश का गौरव बढ़ाया था
वो रात तलवार की धार पर थी
वो लड़ाई आर-पार की थी
अमानवता ने उत्पात मचाया था
दुष्ट मंसूबों के साथ डेरा जमाया था
ग़नीम बाशिंदें छुपे बैठें थें ग़ुमनाम गलियों में
मौज उड़ा रहे थें अपने-अपने कबीलों में
ढूँढ ही लिया था उन्हें चंद जबाज़ वीरों ने
खतरा मोल ले लिया था
पार कर गएँ थें सरहद
इतिहास गढ़ा था सरहद की लकीरों ने
करो या मरो की नाव पर डौल रहें थें
जान हथेली पर ले हिम्मत टटोल रहें थें
पैग़ाम ये दुनिया को देकर जाना था
हम भी घुस सकते हैं हम भी मार सकते हैं
सुनो मानवता के दुश्मनों
हम घुसेंगे भी और मारेंगे भी
कुछ ऐसा आह्वान आज करते हैं
ये माना कि शांती से रहना चलन हमारा है
पर क्षत्रु की मनमानी और नापाक इरादों को
ध्वस्त करना ढ़ंग हमारा है
ये देश ऐसे वीरों को सलाम करता है
उस रात की गाथा का गुणगान खुलेआम करता है
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