वो क्या

रमा और रमेश की शादी हुए एक साल से अधिक हो गया था पर रमेश को लगने लगा था वो उसे ठीक से अभी भी नहीं जानता! इधर कुछ दिनों से वो परेशान रहने लगा है। कल ही की तो बात है तबियत सही नहीं होने पर वो जल्दी छुट्टी करके घर आया तो घरके दरवाज़े पर लटका ताला उसको मुंह चिढ़ा रहा था। पड़ोस की अनु भाभी से रमा की बड़ी पटती है, शायद उन्हें मालूम हो सोचकर उनसे पूछने गया तो पता चला शाम चार बजे रोज़ रमा बिना कुछ बताए कहीं चली जाती है। भारी मन से घर आ रहा था तो उसे बहुत कुछ याद आने लगा। उसने भी इन दिनों कभी शाम के इस समय में जब भी फोन किया तो उसका फोन रमा ने नहीं उठाया था। दवा का असर था कि उसे नींद आने लगी। अभी बिस्तर पर लेटा ही था कि उसने देखा...
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घर का दरवाज़ा खुला, और रमा घर के अंदर दाखिल हुई,वह सामान्य दिनों से अलग ही रमा थी।घर में शांत दबी सहमी सी रमा की जगह एक आत्मविश्वासी रमा दिख रही थी।उसका पहनावा भी सामान्य दिनों से अलग था।कोर्ट पैंट पहने हुए वह फोन पर किसी को जल्दी काम खत्म न होने के कारण डाँट रही थी।रमेश आश्चर्य में पड़ गया।रमा अभी तक रमेश को नही देखी थी।वह बातों में व्यस्त थी और किसी ऑफिस के उद्घाटन की बात कर रही थी।
अचानक ही रमेश पर नजर पड़ी और वह एकदम से चुप हो गयी।तब रमेश ने पूछा ये क्या चल रहा है रमा?मैं कई दिनों से देख रहा हूँ तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो और आज तो यह साबित भी हो गया।तब रमा ने कहा कि मैं तुम्हें अपनी शादी की सालगिरह पर एक सरप्राइज देना चाहती थी।मैंने घर खर्च के बचाये हुए पैसे से एक कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला है ताकि तुम पर पड़ रहे घर के आर्थिक बोझ को बाँट सकूँ।
शादी की सालगिरह के दिनों तुमसे उसका उद्घाटन करवाने की योजना थी।
यह सुन रमेश अवाक रह गया,और रमा को गले लगा लिया।
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