वो पुराना टीवी तो बस अब यादों में है

वो भी क्या दिन थे
टीवी एक देखने वाले अनगिनत थे
उन दिनों के संडे का भी
अपना फसाना था
टीवी के बहाने सारा परिवार
एक साथ बैठ जाता था
रामायण हो या महाभारत
रंगोली हो या चित्रहार
एक साथ बैठ देखते थे
गली मोहल्ले के भी यार
वो एंटीना भी क्या गजब था
उसे हिला हिला कर
आ गया क्या.....
पूछना भी अजब था
वह मोगली दुनिया
वो शक्तिमान अपना
करमचंद बनना
हर किसी का था सपना
मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा
साथ मे गाते गाते
जोश में आ जाना
चैनल का घुमाना
कभी इधर कभी उधर
तोड़ते मरोड़ते जाना
अब हर घर में कई -कई टीवी है
पर वो पहले जैसी बात कहां
अब एक ही टीवी के आगे
बैठता पूरा परिवार कहां
वो पुराना टीवी तो बस
अब यादों में है
मेरे तुम्हारे जज्बातो में है
अब तो हर हाथ में रिमोट है
क्योंकि आदमी खुद
बन गया रोबोट है
पहले भले ही टीवी
ब्लैक एंड वाइट था
पर दुनिया रंगीन थी
हां वो बचपन वो जिन्दगी
बड़ी ही हसीन थी
अनु गुप्ता
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