वह एक रिश्ता

वह एक रिश्ता ,अकीदत बन आए जीवन में ,
हकीकत के हो करीब ,
तिलिस्म की न हो लकीर
तलब इतनी है मन में,
कोई आए फ़र्द ऐसा,
ना गढे कसीदे रूप- रंग के,
ऐसा वो एक रिश्ता---
हो जिस मे रूह का रूह से जुड़ाव
मिलावटी इश्क़ के इत्र की ,
गंध से न हो लगाव ,
खारा ही हो सही ,
हो खरा, मिलावट न तिलिस्म की जरा,
वो एक रिश्ता---,
जुबा से बयां हो एहसास कम ,
आंखें बयां कर दे दिल- ए - दास्तां,
दर्द को समेट ले, पैबंद लगी खुशियों की चादर समेट ले,
कम और ज्यादा की ना बात हो,
एहसासों का पुलिंदा से रचा फरिश्ता,
वो हो एक ऐसा रिश्ता,
दौलत -शोहरत की हो कमी चाहे,
हो ना रिश्ते में कंगाली प्यार की,
गढे दास्तां नए इश्क-ए-गुलजार की
माना हकीकत से बेपरवाह ,
वो एक रिश्ता जहां की ,
देखकर पर उफ़ुक को
झूठ हम भी एक जी लेते हैं,
मिलेगा वो एक रिश्ता
कभी कहीं इस जहां में।
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