वादा Thursday poetry chalenge

सावन बरसे - सावन बरसे , मनवा पिया मिलन को तरसे
बैरन ये बारिश की बूंदें तन - मन में इक अगन लगाए रे,
हूक उठे जब उर - आंगन में जल बिन मछली तड़प रह जाए रे।
नैनअर्णव छलका जाए , हाय रे प्रीतम तुम क्यूं ना आए ।
बादल गरजे, बिजुरी चमके , मनवा मोरा धड़के, राह देखूं पिया की कबहू आ के मोहे गरवा लगाए रे, जैसे जल बिन मीन रह ना पाए, आ के थाम लो मोहे , जिया मचला जाए रे ।
बैरी सावन तु काहे आया अबहु मोरा सजन ना आ पाए रे , लिख- लिख चिठ्ठिया
भेजूं सजन को , कोई तो उनका भी सन्देशा लाएं रे ।
साजन मोरा उस पार , मैं इस पार , बिन नाव के कौन दरिया पार कराए रे ।
हाए करो कोई जतन, कोई तो पिया से दिओ मिलाए रे ।
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